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विश्व की 10 शक्तिशाली खुफिया एजेंसी

विश्व की 10 शक्तिशाली खुफिया एजेंसी हर देश में नागरिकों, दस्तावेजों और खुफिया बातों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक एजेंसी बहुत ही शांत मगर शातिर तरीकों से निभा रही होती है. इन एजेंसियों में काम करने वाले लोग और तरीके आम लोगों को पता नहीं होते हैं. आगे जाानिए सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों के बारे में, जिनके नाम से ही दुश्मनों की कांप जाती है रूह...  RAW: रिसर्च एंड एनालि‍सिस विंग(रॉ) की स्थापना 1968 में की गई थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. रॉ विदेशी मामलों, अपराधियों, आतंकियों के बारे में पूरी जानकारी रखती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) भी देश की सुरक्षा के लिए काम करती है. इन दोनों एजेंसियों ने मिलकर कई बड़े आतंकी हमलों को नाकाम किया है. ISI: इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है. आईएसआई की स्थापना 1948 में की गई थी. अमेरिकी क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई को सबसे ताकतवर एजेंसी बताया गया था. हालांकि आईएसआई पर आए दिन आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. भारत में हुए कई आतंकी हमलों में आईएसआई के एजेंट्स का हाथ बताया जा रहा है. इसका मुख्यालय इस्लामाब...
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संविधान विश्व

भारतीय संविधान  विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है|  जहां अमेरिकी संविधान में कुल 7 अनुच्छेद, कनाडा के संविधान में 147, ऑस्ट्रेलिया के संविधान में, 128 दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 153, स्विट्जरलैंड के संविधान में 123, तथा जापान के संविधान में 103 अनुच्छेद है, वही भारत मूल संविधान में 395 अनुच्छेद (22 भागों में विभक्त) 8 अनुसूचियां तथा एक प्रस्तावना शामिल है|  इस संविधान का अभी भी विस्तार हो रहा है वर्तमान में इस संविधान में गणना के हिसाब से कुल 450 अनुच्छेद (24 भागों में विभक्त) तथा  12  अनुसूचियां, एक प्रस्तावना तथा 5 परिशिष्ट हैं| भारतीय संविधान कितना विस्तृत है इसकी जानकारी इस बात से सम मिलती है कि जहां अमेरिका के संविधान में लगभग 4500 शब्द हैं वहीं भारतीय संविधान में कुल 177369 शब्द शामिल हैं| विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय संविधान की विशालता का मुख्य कारण उसका विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 32,87,263 वर्ग किलोमीटर), केंद्र तथा राज्यों के लिए एक ही संविधान जातिगत एवं भाषागत विशेषताएं (लगभग 2000 जातियां एवं 45,000 उपजातियां तथा 1652 भाषाएं) तथा संविधान सभा में...

भारतीय संविधान संशोधन

Home GK/GS GK/GS भारतीय संविधान में हुए संशोधन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ By  Sarkari Book   Last updated  Jan 3, 2019   Share भारतीय संविधान में हुए संशोधन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ- Hello Readers ,जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं उन सभी के लिए आज हम बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी share कर रहे हैं| यह जानकारी  “भारतीय संविधान में हुए संशोधन”  से जुड़ा  हुवा है| यह जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण है, इस तरह की जानकारी competitive exams में पुछा जाता है| जो छात्र विभिन्न प्रकार के परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं ओ सभी इस जानकारी को यह कर लें| आप सभी इस जानकारी को PDF में भी download कर सकते हैं| Download करने का Button नीचे दिया गया है| भारतीय संविधान में हुए संशोधन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ भारत के संविधान में पहला संशोधन जो 1951 में किया गया, उसमें क्या संशोधन किया गया? ⇒  इस संशोधन के द्वारा नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया| भारत के संविधान में दूसरा संशोधन जो 1952 में किया गया, उसमें क्या संशोधन किया गया? ⇒  ...

अनुच्छेद

अनुच्छेद 1* :-  संघ का नाम और राज्य क्षेत्र *अनुच्छेद 2* :-  नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना *अनुच्छेद 3* :-  राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे परिवर्तन *अनुच्छेद 4* :-  पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां *अच्नुछेद 5* :-  संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता *अनुच्छेद 6* :-  भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता *अनुच्छेद 7* :- पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता *अनुच्छेद 8* :-  भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता *अनुच्छेद 9* :-  विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना *अनुच्छेद 10* :-  नागरिकता के अधिकारों का बना रहना *अनुच्छेद 11* :-  संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन *अनुच्छेद 12* :-  राज्य की परिभाषा *अनुच्छेद 13* :-  मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां *अनुच्छेद 14* :-  विधि के समक्ष समानता *अनुच्छेद 15* :-  धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध *अनुच्छेद 16* :-  लोक नियोजन में अवसर की समानता *अनुच्छेद 17* :-  अस्पृश्य...

आधुनिक इतिहास

अंग्रेजों की उपनिवेशवादी नीतियों के खिलाफ जब पूरा देश उठ खड़ा हुआ था तो मध्य प्रदेश भी उससे अछूता नहीं रहा. 1818 ई. में प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में सर्वप्रथम विद्रोह की चिंगारी दिखाई पड़ी थी. जब नागपुर के तत्कालीन देशभक्त शासक अप्पा जी भोंसले को अंग्रेजों ने मण्डला, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और नर्मदा कछार का क्षेत्र छोड़ देने हेतु बाध्य किया. ऐसी स्थिति में अप्पा जी ने अंग्रेजों से युद्ध किया, लेकिन उन्हें पराजित होकर भागना पड़ा.   1833 में रामगढ़ नरेश जुझारू सिहं के पुत्र दवेनाथ सिहं ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध किया तो, किन्तु वे भी असफल रहे. दुर्राम की संधि के नाराज चन्द्रपुर (सागर) के जवारहट सिहं बुंदेला, भरहुत के मधुकर शाह, मदनपुर के गोंड मुखिया दिल्हन शाह और  हीरापुर के हीरेनशाह ने अंग्रेजों के विरुद्ध 1842 में बगावत के झंडे गाड़ दिये. इस प्रकार सागर, दमोह, नरसिंहपुर से लेकर जबलपुर, मण्डला और होशंगाबाद तक के सारे क्षेत्र में विद्रोह की आग भड़क उठी, लेकिन आपसी सामंजस्य और तालमेल के अभाव में इस प्रयास को अंग्रेज दबाने में सफल रहे.   अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय लोग...

आधुनिक इतिहास

प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ में भारतीय राष्ट्रीय नेताओं ने ब्रिटेन के युद्ध प्रस्तावों का स्वागत किया था. प्रथम विश्व युद्ध  ने यूरोपियनों की जातीय श्रेष्ठता की भावना को समाप्त कर दिया. तिलक ने अप्रैल 1916 में बम्बई के बेलगांव में अपने होमरूल लीग का गठन किया. इसका गठन बम्बई प्रांतीय सभा में किया गया. इसकी गतिविधियां मध्यप्रांत, महाराष्ट्र (बम्बई को छोड़कर), कनार्टक आरै बरार तक सीमित थीं. बाल गंगाधर तिलक  का नारा था, ‘ स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा. ’ श्रीमती एनी बेसेंट ने सितम्बर 1916 में मद्रास के गोखले सभागार में  हामेरूल लीग  शुरू किया. जार्ज अरुण्डेल इसके सगंठन मंत्री बनाये गये. एनी बेसेंट का लीग तिलक के लीग के प्रभाव वाले क्षेत्रा को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में सक्रिय था. एनी बेसेंट तथा उनके सहयोगी वी. पी. वाडिया और  अरुण्डेल  को मद्रास सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था. 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में राष्ट्रीय महत्त्व की दो घटनाएं घटीं- (1) कांग्रेस के नरमपंथी और गरमपंथी नेता अपने मतभेद भूलाकर एक हो गये. अतः 1907 के बाद यह प्रथ...

युद्धों

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 ई. में हुई थी. कपंनी का भारतीय रियासतों से समानता के लिए संघर्ष का काल 1740-65 है. इस काल में कंपनी ने प्लासी (1757) एवं बक्सर (1764) के युद्धों में जीत हासिल की. घेरे की नीति का काल 1765-1813 है. लार्ड वेलेजली ने भारत में कपंनी का सनिक प्रभुत्व स्थापित किया. लार्ड हेस्टिंग्ज ने भारत में कपंनी की राजनैतिक सर्वश्रेष्ठता स्थापित की. लार्ड हेस्टिंग्ज के समय से अधीनस्थ पार्थक्य की नीति (1813-1857) शुरू हुई. लार्ड वेलेजली द्वारा शुरू किये गये सहायक सन्धि को स्वीकार करने वाले राज्य थे – हैदराबाद (1798 और 1800), मैसूर (1799), तंजौर (1799), अवध (1801), पेशवा (1801), भोंसले (1803), सिन्धिया (1804), जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी, बूंदी, भरतपुर. लार्ड डलहौजी के व्यपगत के सिद्दांत के अनुसार विलय किये गये राज्य थे – सतारा (1848), जैतपुर एवं संभलपुर (1849), बघाट (1850), उदयपुर (1852), झांसी (1853) और नागपुर (1854. कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स ने करौली के विलय की आज्ञा नहीं दी थी तथा लार्ड कैनिंग ने बघाट और उदयपुर राज्य वापस कर दिए थे. 1856 में अवध को कुप्रशासन के आधार पर ब्रिटिश स...