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संविधान विश्व

भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है| जहां अमेरिकी संविधान में कुल 7 अनुच्छेद, कनाडा के संविधान में 147, ऑस्ट्रेलिया के संविधान में, 128 दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 153, स्विट्जरलैंड के संविधान में 123, तथा जापान के संविधान में 103 अनुच्छेद है, वही भारत मूल संविधान में 395 अनुच्छेद (22 भागों में विभक्त) 8 अनुसूचियां तथा एक प्रस्तावना शामिल है| इस संविधान का अभी भी विस्तार हो रहा है वर्तमान में इस संविधान में गणना के हिसाब से कुल 450 अनुच्छेद (24 भागों में विभक्त) तथा 12 अनुसूचियां, एक प्रस्तावना तथा 5 परिशिष्ट हैं| भारतीय संविधान कितना विस्तृत है इसकी जानकारी इस बात से सम मिलती है कि जहां अमेरिका के संविधान में लगभग 4500 शब्द हैं वहीं भारतीय संविधान में कुल 177369 शब्द शामिल हैं| विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय संविधान की विशालता का मुख्य कारण उसका विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 32,87,263 वर्ग किलोमीटर), केंद्र तथा राज्यों के लिए एक ही संविधान जातिगत एवं भाषागत विशेषताएं (लगभग 2000 जातियां एवं 45,000 उपजातियां तथा 1652 भाषाएं) तथा संविधान सभा में वकीलों की अधिक संख्या एवं प्रभाव का होना है|

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विश्व की 10 शक्तिशाली खुफिया एजेंसी हर देश में नागरिकों, दस्तावेजों और खुफिया बातों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक एजेंसी बहुत ही शांत मगर शातिर तरीकों से निभा रही होती है. इन एजेंसियों में काम करने वाले लोग और तरीके आम लोगों को पता नहीं होते हैं. आगे जाानिए सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों के बारे में, जिनके नाम से ही दुश्मनों की कांप जाती है रूह...  RAW: रिसर्च एंड एनालि‍सिस विंग(रॉ) की स्थापना 1968 में की गई थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. रॉ विदेशी मामलों, अपराधियों, आतंकियों के बारे में पूरी जानकारी रखती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) भी देश की सुरक्षा के लिए काम करती है. इन दोनों एजेंसियों ने मिलकर कई बड़े आतंकी हमलों को नाकाम किया है. ISI: इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है. आईएसआई की स्थापना 1948 में की गई थी. अमेरिकी क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई को सबसे ताकतवर एजेंसी बताया गया था. हालांकि आईएसआई पर आए दिन आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. भारत में हुए कई आतंकी हमलों में आईएसआई के एजेंट्स का हाथ बताया जा रहा है. इसका मुख्यालय इस्लामाब...

गुप्तकालीन नाटको एवं नाटककारो

गुप्तकाल सांस्कृतिक प्रस्फुटन या विकास का युग था। इस युग में धर्म, कला, साहित्य और ज्ञान-विज्ञान की अदभुत प्रगति हुई। इसलिए, अनेक विद्वानो ने गुप्तकाल को हिन्दू-पुनर्जागरण या स्वर्णयुग का काल माना है। गुप्तकाल सांस्कृतिक प्रस्फुटन या विकास का युग था। इस युग में धर्म, कला, साहित्य और ज्ञान-विज्ञान की अदभुत प्रगति हुई। इसलिए, अनेक विद्वानो ने गुप्तकाल को हिन्दू-पुनर्जागरण या स्वर्णयुग का काल माना है। कवियों ने प्रशस्तिया लिखी, प्रयाग एवं मंदसौर की प्रशस्तिया क्रमशः हरिशेण और वसूल ने लिखी। इस समय के सबसे प्रख्यात कवि और नाटकार  महाकवि कालिदास थे। मालविकाग्निमित्रम्, अग्निमित्र एवं मालविका की प्रणय कथा को पर आधारित है।   मालविकाग्निमित्रम्, अग्निमित्र एवं मालविका की प्रणय कथा को पर आधारित है जिसकी रचना कालिदास ने की थी। मुद्राराक्षसम् एक ऐतिहासिक नाटक कथा है जिसमे चन्द्रगुप्त मौर्य के मगध के सिंहासन पर बैठने की कथा वर्णित है। इसकी रचना विशाखदत्त ने की थी। मालविकाग्निमित्रम् चौथी शताब्दी के उत्तरार्ध एवं पांचवी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में कालिदास द्वारा रचित एक संस्कृत ग्...

1857 के बाद ब्रिटिश भारत के अधिनियम

किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह बुनियादी सांचा-ढांचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है। भारत का संविधान कही न कही ब्रिटिश के लाये गए अच्छे और निरंकुश अधिनियमों की ही देंन है की भारत आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ पूर्ण संसदीय लोकतंत्र बना। भारत सरकार अधिनियम (1858)' के अनुसार 'बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर्स' एवं 'बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल' के समस्त अधिकार 'भारत सचिव' को सौंप दिये गये। भारत सचिव ब्रिटिश मंत्रिमण्डल का एक सदस्य होता था, जिसकी सहायता के लिए 15 सदस्यीय 'भारतीय परिषद' का गठन किया गया था, जिसमें 7 सदस्यों की नियुक्ति 'कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स' एवं शेष 8 की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार करती थी। इन सदस्यों में आधे से अधिक के लिए यह शर्त थी कि वे भारत में कम से कम 10 वर्ष तक रह चुके हों। इस अधिनियम के लागू होने के बाद 1784 ई. के 'पिट एक्ट' द्वारा स्थापित द्वैध शासन पद्धति पूरी तरह समाप्त हो गयी। देशों व राजाओं का क्राउन से प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित हो गया और डलहौज़ी की 'राज्य हड़प नीति' निष्प्रभावी ह...